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गुरुवार, 6 मार्च 2014

हे कान्हा तुम कब आओगे ?


हे कान्हा तुम कब आओगे? नहीं सुखद तुम जब पाओगे!
मुरली सुन को हिय है प्यासा, हे कान्हा तुम कब आओगे?

अराजकता की होली होती, तीक्ष्ण व्यंग यँह बोली होती,
देख-सहन अब नहीं ये होता, मनवाँ तेरे खातिर रोता,
तुम्ही प्रेम के रस लाओगे, हे कान्हा तुम कब आओगे?

राजनीति का पार नहीं है, गलत यहाँ व्योहार सही है,
नियम यहाँ अब नहीं कोई, व्याभिचार में दुनियाँ सोई,
नियम धरम तो तुम लाओगे, हे कान्हा तुम कब आओगे?

अपनी विपदा किसे सुनावैं, नहीं यहाँ वह राजा कोई,
मानवता की शंख बजाते, की अन्दर से शोषण होई,
तुम्हीं यहाँ पोषण लाओगे, हे कान्हा तुम कब आओगे?

था सुना देखता सब कुछ तू है, बता भला फिर चुप ही क्यूँ है,
मार्ग पे तेरे चलते हम नित, लुट गया यहाँ सब बचा ही तूँ है,
क्या हमको खुद से बिछड़ाओगे, हे कान्हा तुम कब आओगे?

हे श्याम यहाँ बस आस तुम्हारी, शुरु करो प्रभु लीला न्यारी,
क्षमा करो प्रभु "मौर्य" है विनती, जो कछु त्रुटियाँ होंय हमारी,
अब कितना सबको तड़फाओगे, हे कान्हा तुम कब आओगे?
…………………जय श्री कृष्ण…………………
~~~~~~~~~अंगिरा प्रसाद मौर्या
दिनाँक:- ०६/०३/२०१४

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