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रविवार, 8 जून 2014

जग में तुम्हीं बनवारी तुमसे भी लजाना क्या अब

तुमको है बताना क्या अब, तुमसे ही छुपाना क्या अब,
जग में तुम्हीं बनवारी, तुमसे भी लजाना क्या अब।

क्या कोई कथाएँ कह दूँ,
या सभी व्यथाएँ कह दूँ,
जी रहा हूँ कैसे-कैसे,
किसकी ये खताएँ कह दूँ,
जग के रक्षापाल तुमही, याद ये कराना क्या अब।
जग में तुम्हीं बनवारी, तुमसे भी लजाना क्या अब।

क्यूँ नहीं बनाते अर्जुन,
क्यूँ नहीं दिलाते वो गुण,
भारत को विश्व बना दूँ,
एक-एक दिशाओं को चुन।
विश्व में विराट तुमही, तो हमें लड़ाना क्या अब।
जग में तुम्हीं बनवारी, तुमसे ही लजाना क्या अब।

कैसे तेरे मार्ग चल दूँ,
कैसे पूरे काज कर दूँ,
जग में बहुत है बाँधा,
बिना मुल्य कैसे हर दूँ,
विश्व में धनाट्य तुमही, तो हमें दौड़ना क्या अब।
जग में तुम्हीं बनवारी, तुमसे भी लजाना क्या अब।

या हमें भुला दे सबकुछ,
या हमें तु दे दे सबकुछ,
क्यूँ यहाँ मैं मूक बैठा,
न देखना वो देखूँ सबकुछ,
दास के हो दाता तुमही, तो हमें रुलाना क्या अब।
जग में तुम्हीं बनवारी, तुमसे ही लजाना क्या अब।
_______जय श्री कृष्ण_______
~~~~~~~~~अंगिरा प्रसाद मौर्या
दिनाँक___०८/०६/२०१४

रविवार, 1 जून 2014

।। हे कान्हा हमको छवि ऐसी प्रदान करो ।।


श्री कृष्ण हरे गोविन्द हरे,
गोपाल हरे जगपाल हरे,
सभी के बिगड़े काम करें,
हम जग में तेरा नाम करें,
हे कान्हा हमको छवि ऐसी प्रदान करें~2बार।।

दिन-रात चलें उपदेश भजें,
हम गीता के ना मार्ग तजें,
हम ऐसा जन-कल्याण करें,
की नाम की तुम्हरे लाज रहे,
हे कान्हा हमको छवि ऐसी प्रदान करें~2बार।।

हम दास रहें या राज करें,
कभि पीड़ा ना संताप भरें,
बस मार्ग वही हर साँस चलें,
की "मौर्य" तुम्हारे काज करें,
हे कान्हा हमको छवि ऐसी प्रदान करें~2बार।।
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_________जय श्री कृष्ण_________
~~~~~~~~~अंगिरा प्रसाद मौर्या
दिनाँक_________ 02/06/2014