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बुधवार, 21 जनवरी 2015

नित करते वंदन श्याम तुम्हारी

नित करते वंदन श्याम तुम्हारी।
हर लो प्रभु मेरी अंधियारी।।

हो तुम्हीं ज्ञान, विज्ञान तुम्हीं हो,
जग में बस सज्ञान तुम्हीं हो,
तुम्ही भक्त, भगवान तुम्हीं हो,
है लीला तुम्हरी जगत में न्यारी।।

नहीं ध्यान है क्या अब ध्यावैं,
सारी विपदा किसे सुनावैं,
दृष्टि पड़े अब शरणागत पर,
हम तो त्रुटियों के बलिहारी।।

अपराध हुए जो अंधकार में,
हुईं जो त्रुटियाँ व्योहार में,
क्षमा करो प्रभु यह विनती है,
जग के हो प्रभु तुम हितकारी।

~~~~~~~~~जय श्री कृष्ण
दिनांक:- २८/११/२०१३
~~~~~~~~~अंगिरा प्रसाद मौर्या