नित करते वंदन श्याम तुम्हारी,
हर लो प्रभु मेरी अंधियारी।।
हम क्या थे ये नहीं जानते,
आज भी कुछ हैं ये नहीं मानते,
सद्मार्ग प्रसस्त हो शरणागत का,
आज्ञा तुम्हारी सभी है प्यारी।।
दिव्यज्ञान से परिपूर्ण करो अब,
कलुष-भेद सब कूट करो अब,
तुम्ही विधा हो तुम्ही विधाता,
है महिमा तुम्हारी जगत में न्यारी।।
हो वही कर्म जो तुमको भावे,
जग में हम भी श्रेष्ठ कहावें,
उपकार तुम्हारा हम नित गावें,
तुम सुन लो प्रभु विलख हमारी।।
नित करते वंदन श्याम तुम्हारी,
हर लो प्रभु मेरी अधियारी।।
~~~~~~~~~अंगिरा प्रसाद मौर्या
दिनांक:- ०३/१०/२०१३
~~~~~~~~~APM
>>>>>>>>>जय श्री कृष्णा<<<<<<<<<
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