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शुक्रवार, 10 अप्रैल 2020

दोहे

राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट ।
एक दिन झूठा होयेगा, गाड़ी-बंगला-सूट ।।

कृष्ण कृष्ण औ कृष्ण में, नहीं है कोई भेद ।
भेद नहीं वो जानता, जिसके मन में छेद ।।

दूर-दूर तक देव हैं, जे पूजें ते पाय ।
कण-कण व्यापित कृष्ण हैं, नाम से होत सहाय।।

रचनाकार :- #अंगिरा_प्रसाद_मौर्य 

स्रोत : #भगवद्गीता

जय श्री कृष्ण !

रविवार, 3 मार्च 2019

मन और आत्मा

मन तो कभी भी मचल सकता है पर हमारी भावनाओं का बहाव किस ओर से है वो बहुत ही महत्वपूर्ण है।
हम कैसे चरित्र का निर्माण करना चाहते हैं वो अति महत्वपूर्ण है।
अपने ज्ञान की झोली से परे होकर कभी-कभी अपने विपरीत होकर भी सोचना चाहिए तब जाके पता चल पाता है कि हम कहाँ तक सही और कहाँ तक गलत हैं।

यूँ तो सभी के अंदर आत्मा का वास है जो कि निरंतर सर्वशक्तिमान परमात्मा से जुड़ा हुआ है पर वो कभी भी कुछ नहीं कहता है और न ही हमारे कार्यकलापों को नियंत्रित करता है वो तो बस साक्षी है।

आत्मा तो वह कागज है जिमसें हमारे क्रियाकलापों को लिखने के लिए सदैव रिक्त स्थान रहता है।
जय श्री कृष्ण

अंगिरा प्रसाद मौर्य
03/03/2019

बुधवार, 24 अक्तूबर 2018

जय श्री कृष्ण

व्यक्ति अपने आप को ठग सकता है दूसरे को नहीं !
सांसारिक चीजें सब नाशवान(नश्वर) हैं।
कोई किसी का पैसा, किसी का समय, किसी के आभूषण अथवा किसी के इज्जत को वास्तव में ठग नहीं सकता !

ठगने वाले का ये भ्रम हो सकता है कि उसने किसी को ठग लिया, वास्तव में वो अपने आप को ठगता है, अपने चरित्र को कुचरित्र में बदलने लगता है, अपने व्यक्तित्व को दुराचारी बनाता है।

रावण ने भी सबको ठगा था, कंस ने भी सबको ठगा था और कोंग्रेस ने भी सबको ठगा ! वास्तव में तो इनलोगों ने अपने आप को ठगा, अपने चरित्र को ठगा और व्यक्तित्व को भी ठग लिया, जब सामाजिक भावनाओं की बात आई तो इनके लिए सहानुभूति रखने वाले या तो परास्त हो चुके थे या संसार ही छोड़ चुके थे।

जय श्री कृष्ण

आपका शुभचिंतक : Angira Prasad Maurya

शनिवार, 2 मई 2015

जन्तु से है जग बना, स्नेह तूँ अपार कर

आज कहीं पर फसल को हानि हो रही है तो कहीं पर भूकम्प आ जा रहा है, कहीं लोग आत्महत्या कर रहे हैं तो कहीं भूखो मर रहे हैं तो कोई आपदा से मर रहे हैं।  परंतु ईश्वर नहीं आता !
आखिर क्यूँ ????
कारण क्या है ?????

आखिर ईश्वर आये ही क्यूँ !!!!! कौन उसे बुलाना चाहता है !!!!! ईश्वर इतना सामर्थ्यवान है कि वह बिना आये भी सबका संहार कर सकता है।

आज इतनी घृणा है इतनी कटुताएँ हैं मानो मानवता जैसी कोई प्रवृत्ति ही नहीं होती ! ऐसे में ईश्वर से कौन स्नेह करने वाला है!!! ईश्वर का सत्कार कौन करने वाला है। आजकल तो लोग अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने हेतु ईश्वर का नाम लेते हैं। लोग तो केवल दिखाने के ईश्वर की स्तुति करते हैं ।

कोई भी सुखी संसार हेतु ईश्वर से कुछ मांगने वाला नहीं है। सब अपने-अपने स्वार्थों को साधने में लगे हैं। ऐसे में ईश्वर किसके लिए आएगा ???? ईश्वर का तो पूरा संसार है।

आपके समक्ष प्रस्तुत हैं इसी सन्दर्भ में हमारी कुछ काव्यगत पंक्तियाँ :-

संस्कार अब अपंग है !
सत्कार अब छिन गए!
अवतार है रुका हुआ !
करतार है छुपा हुआ !

दिन में न प्रकाश है,
न रात में विश्राम है।
धुंध सा आभास है,
विलाप है संग्राम है।

न वृक्ष का संहार कर,
न पक्षियों पे वार कर।
जंतु से जगत बना,
स्नेह तूँ अपार कर।

जीव पे उपकार कर,
तूँ बड़ा व्यापार कर।
अविनाशी तूँ धन जुटा,
आपदा से मार कर।

धर्म परोपकार है,
न धर्म का विनाश कर।
करतार क्यूँ ही आएगा!
अधर्म का प्रकाश कर!

लूट ले विश्वास को तूँ,
कपट का श्रृंगार कर ले,
कंश की भरमार होगी!
तूँ धरा पे राज कर ले !

देख उसकी गर्जना से,
काँप उठती है धरा !
एक जो प्रहार कर दे,
परिणाम में ये जग मरा।

अहम् में तो जग मुआ,
खोद न तूँ अब कुँआ !
"मौर्य" डर तूँ ईश को,
साध ले मनीष को।
~~~~~~~~~ अंगिरा प्रसाद मौर्य

दिनाँक : 02/05/2015

सभी मानवों से हमारी यही विनती है कि आप ईश्वर से जब भी कुछ माँगना चाहें तो इस प्रकार विनती करें !
"हे ईश्वर ! हे परमेश्वर !
हमसे जाने-अन्जाने जो भी अपराध हुए हैं उसे क्षमा कर दो प्रभु !
हे महेश ! हे वृजेश !
हमें सद्ज्ञान दो प्रभू !
हमें सद्बुद्धि दो प्रभु !
हमारा मार्गदर्शन करो प्रभु !"

क्योंकि,
"बिन मांगे मोती मिले, मांगे मिले न भीख"

अर्थात्- यदि आप प्रत्यक्ष इच्छा नहीं व्यक्त करते हो तो ईश्वर आपको आपने अनुसार वो सबकुछ देगा जिससे आपका जीवन सुचारू रूप से चलता रहेगा और विश्व का भी कल्याण होगा।

जय श्री कृष्ण!
जय हिन्द !

बुधवार, 21 जनवरी 2015

नित करते वंदन श्याम तुम्हारी

नित करते वंदन श्याम तुम्हारी।
हर लो प्रभु मेरी अंधियारी।।

हो तुम्हीं ज्ञान, विज्ञान तुम्हीं हो,
जग में बस सज्ञान तुम्हीं हो,
तुम्ही भक्त, भगवान तुम्हीं हो,
है लीला तुम्हरी जगत में न्यारी।।

नहीं ध्यान है क्या अब ध्यावैं,
सारी विपदा किसे सुनावैं,
दृष्टि पड़े अब शरणागत पर,
हम तो त्रुटियों के बलिहारी।।

अपराध हुए जो अंधकार में,
हुईं जो त्रुटियाँ व्योहार में,
क्षमा करो प्रभु यह विनती है,
जग के हो प्रभु तुम हितकारी।

~~~~~~~~~जय श्री कृष्ण
दिनांक:- २८/११/२०१३
~~~~~~~~~अंगिरा प्रसाद मौर्या

गुरुवार, 4 दिसंबर 2014

नित करते वंदन श्याम तुम्हारी

नित करते वंदन श्याम तुम्हारी ,
सब के हिय में हो खुशियाली,
कलुष-भेद सब दूर करो तुम,
जाति-पाति की मिटे ये काली।
~~~~~~~~~ अंगिरा प्रसाद मौर्या।
********

मंगलवार, 29 जुलाई 2014

जगत ही मेरे जैसा है

श्यामा भी मेरे जैसा है, रामा भी मेरे जैसा है ।
उदय जो भी किरण होता, वो बस मेरे ही जैसा है।

समय भी मेरे जैसा है, अभय भी मेरे जैसा है।
मिलन उस क्षण को इसका है, जो क्षण मेरे ही जैसा है।

दिवस भी मेरे जैसा है, निशा भी मेरे जैसा है।
उदय जो भी किरण होता, वो बस मेरे ही जैसा है।

चलन भी मेरे जैसा है, मलन भी मेरे जैसा है।
हमें वो ही फलित होता, जो कल मेरे ही जैसा है।

जतन भी मेरे जैसा है, भजन भी मेरे जैसा है।
मुझे भगवान वह मिलता, अगन मेरे ही जैसा है।

भुवन भी मेरे जैसा है, सुवन भी मेरे जैसा है।
विधी में "मौर्य" है आया, विधा मेरे ही जैसा है।
३०/०७/२०१४
   ~~~~~~~~~ अंगिरा प्रसाद मौर्या।

रविवार, 8 जून 2014

जग में तुम्हीं बनवारी तुमसे भी लजाना क्या अब

तुमको है बताना क्या अब, तुमसे ही छुपाना क्या अब,
जग में तुम्हीं बनवारी, तुमसे भी लजाना क्या अब।

क्या कोई कथाएँ कह दूँ,
या सभी व्यथाएँ कह दूँ,
जी रहा हूँ कैसे-कैसे,
किसकी ये खताएँ कह दूँ,
जग के रक्षापाल तुमही, याद ये कराना क्या अब।
जग में तुम्हीं बनवारी, तुमसे भी लजाना क्या अब।

क्यूँ नहीं बनाते अर्जुन,
क्यूँ नहीं दिलाते वो गुण,
भारत को विश्व बना दूँ,
एक-एक दिशाओं को चुन।
विश्व में विराट तुमही, तो हमें लड़ाना क्या अब।
जग में तुम्हीं बनवारी, तुमसे ही लजाना क्या अब।

कैसे तेरे मार्ग चल दूँ,
कैसे पूरे काज कर दूँ,
जग में बहुत है बाँधा,
बिना मुल्य कैसे हर दूँ,
विश्व में धनाट्य तुमही, तो हमें दौड़ना क्या अब।
जग में तुम्हीं बनवारी, तुमसे भी लजाना क्या अब।

या हमें भुला दे सबकुछ,
या हमें तु दे दे सबकुछ,
क्यूँ यहाँ मैं मूक बैठा,
न देखना वो देखूँ सबकुछ,
दास के हो दाता तुमही, तो हमें रुलाना क्या अब।
जग में तुम्हीं बनवारी, तुमसे ही लजाना क्या अब।
_______जय श्री कृष्ण_______
~~~~~~~~~अंगिरा प्रसाद मौर्या
दिनाँक___०८/०६/२०१४

रविवार, 1 जून 2014

।। हे कान्हा हमको छवि ऐसी प्रदान करो ।।


श्री कृष्ण हरे गोविन्द हरे,
गोपाल हरे जगपाल हरे,
सभी के बिगड़े काम करें,
हम जग में तेरा नाम करें,
हे कान्हा हमको छवि ऐसी प्रदान करें~2बार।।

दिन-रात चलें उपदेश भजें,
हम गीता के ना मार्ग तजें,
हम ऐसा जन-कल्याण करें,
की नाम की तुम्हरे लाज रहे,
हे कान्हा हमको छवि ऐसी प्रदान करें~2बार।।

हम दास रहें या राज करें,
कभि पीड़ा ना संताप भरें,
बस मार्ग वही हर साँस चलें,
की "मौर्य" तुम्हारे काज करें,
हे कान्हा हमको छवि ऐसी प्रदान करें~2बार।।
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_________जय श्री कृष्ण_________
~~~~~~~~~अंगिरा प्रसाद मौर्या
दिनाँक_________ 02/06/2014