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मंगलवार, 29 जुलाई 2014

जगत ही मेरे जैसा है

श्यामा भी मेरे जैसा है, रामा भी मेरे जैसा है ।
उदय जो भी किरण होता, वो बस मेरे ही जैसा है।

समय भी मेरे जैसा है, अभय भी मेरे जैसा है।
मिलन उस क्षण को इसका है, जो क्षण मेरे ही जैसा है।

दिवस भी मेरे जैसा है, निशा भी मेरे जैसा है।
उदय जो भी किरण होता, वो बस मेरे ही जैसा है।

चलन भी मेरे जैसा है, मलन भी मेरे जैसा है।
हमें वो ही फलित होता, जो कल मेरे ही जैसा है।

जतन भी मेरे जैसा है, भजन भी मेरे जैसा है।
मुझे भगवान वह मिलता, अगन मेरे ही जैसा है।

भुवन भी मेरे जैसा है, सुवन भी मेरे जैसा है।
विधी में "मौर्य" है आया, विधा मेरे ही जैसा है।
३०/०७/२०१४
   ~~~~~~~~~ अंगिरा प्रसाद मौर्या।