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गुरुवार, 4 दिसंबर 2014

नित करते वंदन श्याम तुम्हारी

नित करते वंदन श्याम तुम्हारी ,
सब के हिय में हो खुशियाली,
कलुष-भेद सब दूर करो तुम,
जाति-पाति की मिटे ये काली।
~~~~~~~~~ अंगिरा प्रसाद मौर्या।
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मंगलवार, 29 जुलाई 2014

जगत ही मेरे जैसा है

श्यामा भी मेरे जैसा है, रामा भी मेरे जैसा है ।
उदय जो भी किरण होता, वो बस मेरे ही जैसा है।

समय भी मेरे जैसा है, अभय भी मेरे जैसा है।
मिलन उस क्षण को इसका है, जो क्षण मेरे ही जैसा है।

दिवस भी मेरे जैसा है, निशा भी मेरे जैसा है।
उदय जो भी किरण होता, वो बस मेरे ही जैसा है।

चलन भी मेरे जैसा है, मलन भी मेरे जैसा है।
हमें वो ही फलित होता, जो कल मेरे ही जैसा है।

जतन भी मेरे जैसा है, भजन भी मेरे जैसा है।
मुझे भगवान वह मिलता, अगन मेरे ही जैसा है।

भुवन भी मेरे जैसा है, सुवन भी मेरे जैसा है।
विधी में "मौर्य" है आया, विधा मेरे ही जैसा है।
३०/०७/२०१४
   ~~~~~~~~~ अंगिरा प्रसाद मौर्या।

रविवार, 8 जून 2014

जग में तुम्हीं बनवारी तुमसे भी लजाना क्या अब

तुमको है बताना क्या अब, तुमसे ही छुपाना क्या अब,
जग में तुम्हीं बनवारी, तुमसे भी लजाना क्या अब।

क्या कोई कथाएँ कह दूँ,
या सभी व्यथाएँ कह दूँ,
जी रहा हूँ कैसे-कैसे,
किसकी ये खताएँ कह दूँ,
जग के रक्षापाल तुमही, याद ये कराना क्या अब।
जग में तुम्हीं बनवारी, तुमसे भी लजाना क्या अब।

क्यूँ नहीं बनाते अर्जुन,
क्यूँ नहीं दिलाते वो गुण,
भारत को विश्व बना दूँ,
एक-एक दिशाओं को चुन।
विश्व में विराट तुमही, तो हमें लड़ाना क्या अब।
जग में तुम्हीं बनवारी, तुमसे ही लजाना क्या अब।

कैसे तेरे मार्ग चल दूँ,
कैसे पूरे काज कर दूँ,
जग में बहुत है बाँधा,
बिना मुल्य कैसे हर दूँ,
विश्व में धनाट्य तुमही, तो हमें दौड़ना क्या अब।
जग में तुम्हीं बनवारी, तुमसे भी लजाना क्या अब।

या हमें भुला दे सबकुछ,
या हमें तु दे दे सबकुछ,
क्यूँ यहाँ मैं मूक बैठा,
न देखना वो देखूँ सबकुछ,
दास के हो दाता तुमही, तो हमें रुलाना क्या अब।
जग में तुम्हीं बनवारी, तुमसे ही लजाना क्या अब।
_______जय श्री कृष्ण_______
~~~~~~~~~अंगिरा प्रसाद मौर्या
दिनाँक___०८/०६/२०१४

रविवार, 1 जून 2014

।। हे कान्हा हमको छवि ऐसी प्रदान करो ।।


श्री कृष्ण हरे गोविन्द हरे,
गोपाल हरे जगपाल हरे,
सभी के बिगड़े काम करें,
हम जग में तेरा नाम करें,
हे कान्हा हमको छवि ऐसी प्रदान करें~2बार।।

दिन-रात चलें उपदेश भजें,
हम गीता के ना मार्ग तजें,
हम ऐसा जन-कल्याण करें,
की नाम की तुम्हरे लाज रहे,
हे कान्हा हमको छवि ऐसी प्रदान करें~2बार।।

हम दास रहें या राज करें,
कभि पीड़ा ना संताप भरें,
बस मार्ग वही हर साँस चलें,
की "मौर्य" तुम्हारे काज करें,
हे कान्हा हमको छवि ऐसी प्रदान करें~2बार।।
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_________जय श्री कृष्ण_________
~~~~~~~~~अंगिरा प्रसाद मौर्या
दिनाँक_________ 02/06/2014

शुक्रवार, 16 मई 2014

ॐ श्री राधेगोविन्दाय नमः

कुछ और करूँ कि करूँ न मरूँ
करता है श्याम मैं काहे डरूँ
दिन-रात लडूँ क्यूँ आहें भरूँ
प्रति-क्षण मैं श्याम के नाम करूँ।

शुक्रवार, 28 मार्च 2014

ईश्वर

ईश जहाँ में करता क्या है, प्रश्न ये खुद में बहुत बड़ा है।
मौर्य ज्ञान की परिभाषा क्या, पग-पग पे अज्ञान पड़ा है।

अनुकूत जहाँ में रूप हैं जिनके, हम-ज्ञान वहाँ पर कोई तिनके।
अंत नहीं विज्ञान का उनके, कितनी पंखुड़ियाँ लाऊँ चुनके।

वो उनकी महिमा क्या जानेंगे, जिनमे प्रभु का प्यार रहा है।
तुमने भी कभि प्यार किया था, अब जीना भी दुसवार रहा है।

~~~~~~~~~यदि इससे ज्यादा कुछ आपके पास ज्ञान हो तो कृपया अवश्य बताएँ।
यह एक बहुत ही चिंतन का विषय है जिसमे आपका सहयोग बहुत ही हितकारी हो सकता है।

बुधवार, 26 मार्च 2014

हमरी गोपाल स्तुति

सुन हे नंदलाला हे गोपाला' गयिया क्या तुम्हरी अभी नहीं
मईया जेहि जानत रक्ष को ठानत, लीला क्या तुम्हरी रही नहीं

तोहे "मौर्य" बुलावे नित-नित ध्यावे, गयियन पर तुम्हरे भीर पड़ी
अब उनकी चिन्ता करे न जनता, मैं जियन न चाहूँ एक घड़ी

क्यूँ तू नहि आवत धेनु बचावत, चिन्ता कछु हमरी और नहीं
दे दूँ मैं जाना मातु निधाना, एक जान कदाचित बहुत रही

कर दे ठकुराई मातु बचाई,  "मौर्य" की इतनी विनय रही
अब कर प्रभुताई मौर्य दुहाई, लीला क्या तुम्हरी नहीं रही

अब ग्रन्थ-सुजाना रोदन ठाना, त्राहि-त्राहि चहु ओर भई
तेरा गुण गावत क्यूँ दुःख पावत, क्या लीला तुम्हरी रही नहीं।
~~~~~~~~~~अंगिरा प्रसाद मौर्या
दिनाँक:- २६/०३/२०१४
जय श्री कृष्ण!

गुरुवार, 20 मार्च 2014

जय गोपाल


हे श्याम हिन्द में विपदा आयी, पुरी जाती नही सुनाई,
प्यार जिन्हें कभि किया था तुमने, बदले उसके है रुसवाई।

कालयवन को मार दिया था, हिन्द में उसकी फ़ौज थी आई,
अगणित का संहार किये थे, क्यूँ इनको दिए न मार गिराई,

गोरक्षा आदेश तुम्हारा, इनकी गौओं से कटुताई,
राजा भी हैं यहाँ के जितने, मांग को देते हैं ठुकराई।

हे कान्हा असहाय मैं क्यूँ हूँ, कुछ तो हमपर कर प्रभुताई,
एक एक को गिनकर मारूँ, ऐसी देता प्रकृति बनाई,
~~~~~~~~~अंगिरा प्रसाद मौर्या
दिनाँक:- २०/०३/२०१४
~~~~~~~~~APM
>>>>>>>जय गोपाल<<<<<<<

रविवार, 9 मार्च 2014

जय गोपाल।। जय गौ माता।।

जहाँ तहाँ हो दीनदयाल, हे गोपाल! हे गोपाल!
तुम्हीं हो जग के रक्षापाल, हे गोपाल! हे गोपाल!

जहाँ में तुम्हरी महिमा न्यारी, श्रेष्ठ बताते हैं तृपुरारी,
सृष्टि जगत के पालनहारी, कहते तुमको सब गिरधारी,
गरजो तुम आये भूचाल, हे गोपाल! हे गोपाल!

युद्ध में अर्जुन को समझाए, गीता का उपदेश बताये,
भीष्म-धनुहिया तुम्ही डिगाए, कौरव का विधवंश कराये,
अब भी गणना है विकराल, हे गोपाल! हे गोपाल!

कौरव हैं यँह बड़ी लहेड़ी, मेरे हाथ कर्तव्य की बेड़ी,
अब कार्य यहाँ भी करूँ तो कैसे, घृणित यहाँ कानून बसेरी,
नित माँ का होता यहाँ हलाल, हे गोपाल! हे गोपाल!

नन्द यहाँ नदलाल कहायो, गऊ-चरा गोपाल कहायो,
मार-मधू मधुसूदन तुम हो, दुर्जन को महाकाल बतायो,
फिर धरा पे आओ हे महाकाल! हे गोपाल! हे गोपाल!
~~~~~~~~~APM
दिनाँक:- ०९/०३/२०१४
~~~~~~~~~अंगिरा प्रसाद मौर्या
>>>>>>>जय गोपाल<<<<<<<

गुरुवार, 6 मार्च 2014

मेरे कल्प में राम हो राम


मेरे कल्प में राम हो राम
बन जाएँ बिगड़े सब काम
मेरे कल्प में राम हो राम।।

सुने ये दुनियाँ और तमाम
धुने वाल्मीकि उल्टा नाम
करता जिनको जहाँ प्रणाम
मेरे कल्प में राम हो राम।।

नहीं यहाँ कोई बालि सामान
मिटा दिए कलुषी के काम
सुग्रीव-दिलाये उसके धाम
मेरे कल्प में राम हो राम।।

रावण विपदा का एक नाम
बना दिए प्रभु उसका काम
दियो वभीषण को निजधाम
मेरे कल्प में राम हो राम।।

नहीं बड़ा प्रभु मेरो धाम
दृष्टि पड़े अब दयानिधान
विनती करते "मौर्य" सुजान
मेरे कल्प में राम हो राम।।
बन जाएँ बिगड़े सब काम
मेरे कल्प में राम हो राम।।
………जय श्रीराम………
~~~~~~~~~अंगिरा प्रसाद मौर्या
दिनाँक:-०६/०३/२०१४

हे कान्हा तुम कब आओगे ?


हे कान्हा तुम कब आओगे? नहीं सुखद तुम जब पाओगे!
मुरली सुन को हिय है प्यासा, हे कान्हा तुम कब आओगे?

अराजकता की होली होती, तीक्ष्ण व्यंग यँह बोली होती,
देख-सहन अब नहीं ये होता, मनवाँ तेरे खातिर रोता,
तुम्ही प्रेम के रस लाओगे, हे कान्हा तुम कब आओगे?

राजनीति का पार नहीं है, गलत यहाँ व्योहार सही है,
नियम यहाँ अब नहीं कोई, व्याभिचार में दुनियाँ सोई,
नियम धरम तो तुम लाओगे, हे कान्हा तुम कब आओगे?

अपनी विपदा किसे सुनावैं, नहीं यहाँ वह राजा कोई,
मानवता की शंख बजाते, की अन्दर से शोषण होई,
तुम्हीं यहाँ पोषण लाओगे, हे कान्हा तुम कब आओगे?

था सुना देखता सब कुछ तू है, बता भला फिर चुप ही क्यूँ है,
मार्ग पे तेरे चलते हम नित, लुट गया यहाँ सब बचा ही तूँ है,
क्या हमको खुद से बिछड़ाओगे, हे कान्हा तुम कब आओगे?

हे श्याम यहाँ बस आस तुम्हारी, शुरु करो प्रभु लीला न्यारी,
क्षमा करो प्रभु "मौर्य" है विनती, जो कछु त्रुटियाँ होंय हमारी,
अब कितना सबको तड़फाओगे, हे कान्हा तुम कब आओगे?
…………………जय श्री कृष्ण…………………
~~~~~~~~~अंगिरा प्रसाद मौर्या
दिनाँक:- ०६/०३/२०१४