बुधवार, 26 मार्च 2014

हमरी गोपाल स्तुति

सुन हे नंदलाला हे गोपाला' गयिया क्या तुम्हरी अभी नहीं
मईया जेहि जानत रक्ष को ठानत, लीला क्या तुम्हरी रही नहीं

तोहे "मौर्य" बुलावे नित-नित ध्यावे, गयियन पर तुम्हरे भीर पड़ी
अब उनकी चिन्ता करे न जनता, मैं जियन न चाहूँ एक घड़ी

क्यूँ तू नहि आवत धेनु बचावत, चिन्ता कछु हमरी और नहीं
दे दूँ मैं जाना मातु निधाना, एक जान कदाचित बहुत रही

कर दे ठकुराई मातु बचाई,  "मौर्य" की इतनी विनय रही
अब कर प्रभुताई मौर्य दुहाई, लीला क्या तुम्हरी नहीं रही

अब ग्रन्थ-सुजाना रोदन ठाना, त्राहि-त्राहि चहु ओर भई
तेरा गुण गावत क्यूँ दुःख पावत, क्या लीला तुम्हरी रही नहीं।
~~~~~~~~~~अंगिरा प्रसाद मौर्या
दिनाँक:- २६/०३/२०१४
जय श्री कृष्ण!

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